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पपीते की खेती Papita ki kheti kaise kare

पपीता की खेती-

पपीता एक ऐसा पेढ़ है जो सबसे कम समय में फल देता है। इसके साथ ही इसकी खेती करने में बहुत ख़र्च भी नहीं होता। पपीता एक स्वादिष्ट फल है। इसमें बिटामिन ए बी और इ पाया जाता है। पपीता में पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो की शरीर में अतिरिक्त चर्बी को गलाने में सहायक है। स्वादबर्धक और लोकप्रिय होने के कारण पपीता को अमृत घट भी कहा जाता है। पपीता में कई पाचक एंजाइम पाये जाते हैं जो की भोजन को पचाने में सहायक है।



साथ ही यह कब्ज की बीमारी से भी छुटकारा दिलाता है। पपीते की खास बात यह है कि इसका सेवन कच्चे और पक्के दोनों रूप में किया जाता है। पपीते को सरलता से उगाया जा सकता है साथ ही साथ यह जल्दी फल देने
पला पेढ़ है। इसी कारण आजकल पपीते की लोकप्रियता दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। आज कई लोग पपीते की खेती करके अच्छा आय प्राप्त कर रहे हैं। अगर आप पपीते की उचित खेती करके कम लागत पर अच्छा आय प्राप्त करना चाहते हैं तो देखिये हमारी ये पोस्ट-

ये पोस्ट आप Indiahelpme पर देख रहे हैं।

1. पपीते की खेती के लिए जलवायु-

सबसे पहले बात आती है कि पपीते की खेती के लिए जलवायु कैसा हो। जहा तक जलवायु की बात है तो पपीता की खेती के लिए गर्म नमी युक्त जलवायु अच्छी रहती है। पपीते के पौधे को अधिकतम 37℃ से 45℃ तापमान पर उगाया जा सकता है। तापमान 5℃ से कम नहीं होना चाहिए। पपीते की खेती भारत में कहीं भी की जा सकती है परंतु छत्तीसगढ़ में पपीते की खेती के अनुकूल जलवायु है। पपीते की खेती अगर आप करना चाहते हैं तो इस बात का आपको ध्यान रखना चाहिए की पपीते की खेती अधिक ठण्ड वाले मौसम में करने से पपीते के फल और पौधे दोनों को नुकसान पहुचता है।


2. पपीते की खेती के लिए भूमि का चयन-

पपीते की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है इसके बारे में यहाँ बताया गया है। जहा तक भूमि की बात है तो मिट्टी में जल निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए भूमि उपजाऊ होनी चाहिए। यहाँ पर कुछ बात ध्यान देने योग्य है कि जिस भूमि में पानी भरा रहता है वहां पर पपीते की खेती नहीं करनी चाहिए साथ में पपीते
को बहुत ज्यादा गहरे गड्ढे में नहीं लगाना चाहिए। पपीते की उचित खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमे जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो उपयुक्त मानी जाती है।

3. पपीते की खेत की तैयारी-

पपीते के लिए खेत की तैयारी करते समय निम्न बातो का ध्यान देना चाहिए। सबसे पहले भूमि की अच्छे तरह से जुताई करके उसमें से खरपतवार कंकर आदि निकाल लेना चाहिए उसके बाद एक बार और जुताई करके खेत को समतल बना लेना चाहिए। इसके बाद भूमि में 2×2 मिटर का लंबा चौड़ा गहरा गड्ढा बना लेना चाहिए।
इन गड्ढो में 20 से 25 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिला लेना चाहिए और साथ में 250 ग्राम पोटास को तथा 1/2 किलो सुपर फास्फेट को मिलाकर गड्ढे को भर देना चाहिए ये सारा काम पौधे लगाने से 10 से 15 दिन
पहले कर लेना चाहिए।

पपीते की किस्म एवं बिज-

पपीते के बहुत किस्म आते है जो इस प्रकार हैं- पूसा नन्हा , पूसा जॉइंट , पूसा मेजस्टी , पूसा डेलिसियस, पूसा ड्वार्फ , सीलोन आदि। पपीते के पौधे बिज द्वारा तैयार होते हैं। पपीते की खेती अगर एक हेक्टेयर में करनी हो तो इसके लिए 500 ग्राम से 1 किलो बिज की आवश्यकता पड़ती है। एक हेक्टेयर खेत में प्रति गड्डे 2 पेढ लगाने चाहिए। और दो पौधों के बिच की दुरी 2 मीटर होनी चाहिए। इसके पौधों को पहले रोपनी में तैयार किया
जाता है। पौधों को लगाने का उचित समय जून या जुलाई का महीना होता है। अगर सिचाई का साधन अच्छा है तो सितम्बर से अक्टूबर तथा फरवरी से मार्च तक पपीते के पौधे लगाये जा सकते है।


पौधे लगाने की तैयारी-

पौधे को लगाने के लिए सबसे पहले भूमि की सतह से 15 से 20 सेमी. की क्यारियां बना लेते हैं। तथा एक क्यारी से दूसरे क्यारी की दुरी 10 सेमी. रखते हैं। तथा क्यारियों पर बिज को 3 से 5 सेमी. की दुरी पर लगाना
चाहिए। यहाँ पर ध्यान देने की जरूरत है कि जो बिज लगाये जा रहे हैं उन्हें मिट्टी में 2 से 3 सेमी. गहराई तक ही लगाना चाहिए। जब पौधे की लंबाई 20 से 25 सेमी. की हो जाये तब दो पौधों को एक गड्ढे में लगाना चाहिए।
हम इसे तो तरीके से लगा सकते हैं दूसरा तरीका पौधों को पालीथीन में तैयार करने का है। इसके लिए हमे 20 सेमी लंबी 25 सेमी चौड़ी पालीथीन की जरूरत पड़ती है। सबसे पहले गोबर की खाद और मिट्टी को अच्छी तरह
मिलाकर पालीथीन में भर देना चाहिए। पालीथीन का 1 से 2 सेमी भाग छोड़ देना चाहिए। अब इसमें पपीते के 2 से 3 बीज लगा दें। ज्यादा अंदर बिज नहीं लागें बस 2 से 3 सेमी तक ही रहें। इसमें पर्याप्त नमी का होना जरूरी है। जब पौधे 15 से 20 सेमी के हो जाएं तो पालीथीन को ब्लेड से काटकर हटा दें और उसे मिट्टी में लगा दें। इसे सावधानी पूर्वक करना चाहिए ताकि पपीते के जड़ को कोई नुकसान ना हो।

पपीते के लिए खाद और उर्वरक-

पपीते के पौधे को एक वर्ष में 200 से 250 ग्राम नत्रजन और स्फुर और 400 से 500 ग्राम पोटास की जरूरत पड़ती है। इनके 6 भाग करके प्रत्येक दो माह पर पपीते के पौधे को देना चाहिए।

किट रोग से बचाव-

पपीते में कई प्रकार के किट लगते हैं इसलिए उनसे समय पर बचाव करना जरुरी है कुछ ऐसे ही किट रोग और उनसे बचाव के लिए यहाँ बताया गया है। वैसे पपीते में कीड़े नहीं लगते हैं पर ज्यादा गर्मी और ज्यादा ठण्ड के कारण इसमें कुछ कीड़े लग जाते हैं। पपीते में मोजेक किट लग जाये तो ऐसे पौधे को उखाड़ कर फेक देना चाहिए जिनपर इस किट का असर हुआ है। अन्द्रगल किट के कारण पौधे के तने प्रारम्भिक रूप से गलने लगते हैं। इस रोग से बचाव के लिए बिज को अच्छी तरह से उपचारित कर लेना चाहिए। माइट , एफिड्स , फल मक्खी का प्रकोप भी पपीते पर हो जाता है इनसे बचाव के लिए मेटासिस्टाक्स 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से
पौधों पर छिड़काव करना चाहिए दूसरा छिड़काव आप 15 से 20 दिन के अंतर पर कर सकते हैं। स्टेट रत बीमारी से पौधों को बचाने के लिए पौधों के आस पास पानी न जमा होने दें।

पपीते की निराई गुड़ाई और सिंचाई-

ठण्ड के मौसम में 10 से 15 दिन पर सिचाई करना उचित रहता है। तथा गर्मी के दिनों में 4 से 5 दिन पर सिचाई कर सकते हैं। तीन सिचाई कर लेने के बाद अच्छी तरह से निराई गुड़ाई कर लेना चाहिए।

पपीते के फलों की तुड़ाई-

पपीते के फलों को पौधे लगने के 9 से 10 महीने बाद जब फल तैयार हो जाते हैं तब फलों की तुड़ाई का काम होता है। इसकी पहचान के लिए फल का रंग हरे रंग से हल्का पीला होने लगता है तथा फलों पर नाख़ून या किसी नुकीले पदार्थ से खरोच करते हैं तो इसमें दूध के स्थान पर पानी जैसा तरल निकलने लगता है जब ऐसा हो तब समझ लेना चाहिए की फल की तुड़ाई का समय आ गया है।

पपीते की उपज-

यदि आप इन सब नियमों का पालन करके पपीते की खेती करते हैं तो आपको 1 हेक्टेयर में 35 से 40 टन उपज प्राप्त होगी। जिसे की आप मंडी या बाजार में लेजाकर कम लागत पर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।

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2 comments:

  1. In my papay tree the fruits are not growing well and the leaves are becoming yellow day by day.. What should I do??

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