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Soch kya hai. What is tink

Sochna kya hai. Soch kya hai. What is think.


सोच-

आज मैं बैठा था कि अचानक मुझे ख्याल आया की क्यों न आपने सोच के बारे में आपको बताऊ।
आज के समय में लोग कहते हैं कि मेरे पास काम इतना है कि सोचने का समय नहीं है पर वे भूल जाते हैं कि वे जो काम करने जाते हैं उससे पहले उन्हें सोचना पड़ता है कि इस काम को कब और कैसे कितने समय में करना है। 

हर आदमी के साथ सोच का एक अटूट रिस्ता है। जैसे कोई फिल्म बनाने के लिए लेखक को उसकी कहानी लिखनी पड़ती है और वो सोच के ही लिख सकता है। आप ये सोच रहे होगें की ये सब बातें क्यों बता रहा हूँ ध्यान दीजिए की यहाँ भी आपकी सोच आ जाती है। मेरे इन बातों का कुछ मतलब है जो आपको आगे समझ में आ जायेगा।

जब मैं 15 से 20 साल का था तो ये सोचता था कि मेरे पास पैसे हो महँगी गाड़िया हो ज्यादा लोग जानने वाले हो समाज में एक अलग पहचान हो अक्सर लोगो की यही सोच रहती है। पर मैंने ये नहीं सोचा की ये होगा कैसे ये मेरी बहुत बड़ी गलती थी। उसके बाद मैं इंटरनेट पर पैसे कमाने के बारे में कई साईट खोली और उनके द्वारा बताए गए पैसे कमाने के बारे में सारे आईडिया ट्राई किये। पर मैं फेल रहा। क्योंकि यहाँ भी मेरा उतावलापन मेरे ऊपर हावी होता जा रहा था। मैं जल्दी से जल्दी ज्यादा पैसा कमाना चाहता था। मैं इंतजार नहीं कर सकता था और मेरी सोच ये हो गयी की मैं कभी भी इनसे पैसे नहीं कमा सकता। मेरे अंदर काफी बदलाव आया मेरा हसना भी बंद हो गया। मैं काफी समय अकेले रहने लगा। पर वहाँ भी मेरी सोच मेरी पीछा कर रही थी। मैं जब अकेले होता था तो मैं सोचता था कि मैंने कहाँ गलती कर दी आखिर मैं क्यों नहीं आगे बढ़ पा रहा हु। तब जाके मुझे पता चला की मैं कुछ पाने के लिए बहुत जल्दीबाजी कर रहा हूँ। क्योंकि जो कुछ भी होता है समय पर ही होता है और मेहनत से होता है। उसके बाद मेरी सोच बदली और मैंने अपना काम पूरा मेहनत से किया आज मेरे पास अच्छी जॉब है। मैं खाली समय में अपने ब्लॉग से लोगो को जानकारिया भी देता रहता हूँ। आज मुझे जानने वाले भी कई है। सबसे खास बात की मैं किसी चीज को पाने में उतावलापन नहीं दिखता हूँ। और एक बात जो बिल्कुल सही है कि समय के साथ इंसान की सोच बदल जाती है। इसलिए आप लोगो से मैं कहता हूँ की सोचिये सोचना गलत नहीं है। पर जल्दीबाजी मत कीजिये एक दिन आपका भी समय आएगा की आप अपनी स्टोरी लोगों को बता पायेगें। 

इसी के बारे में एक विद्वान ने कहा है-

" अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो  चलो
    अगर चल नहीं सकते तो रेगों
पर तब तक न रुको जब तक तुम्हारा लक्ष्य तुम्हें न मिल जाये"

सोच हमारे जीवन के एक अटूट रिस्ते की तरह है सुबह जगने से लेकर रात सोने तक हमारी सोच हमारे साथ रहती है और सोने के बाद सोच सपने में भी हमारे साथ रहती है।

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