PALAK KI VAIGYANIK KHETI KARNE KA TARKA (पालक की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका)
Palak ki kheti kaise kare ya palak Ki vigyanik kheti kaise kare ya palak Ki aadhunik kheti karne ka tarika. hm aaj aapko palak ki uchit kheti Karne ke bare me bata rahe hai. Hamara ye pura pryas rahega ki Hm aapko kheti ke bare me uchit Jankari de. To is post ko padiye Aur janiye ki palak ki kheti kaise Kare.
पालक-
पालक हरी पत्तेदार सब्जी होती है। पालक में कई ऐसे गुण पाये जाते हैं जो हमारे शारीर और दिमाग की मजबूती के लिए जरुरी है। पालक के शेवन से शारीर और दिमाग दोनों को मजबूती मिलती है। पालक में कैल्शियम , बिटामिन A भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
तथा ऑयरन , फास्फोरस , बिटामिन C माध्यम मात्रा में पाया जाता है। पालक की पत्तियां शीतल , स्वास्थवर्धक , सुपाच्य , रक्त शोधक , रेचक , शमनकारी होती है। इतना ही नहीं पालक में इनके आलावा निम्न गुण पाये जाते हैं-
पालक की पत्तियां पथरी , श्वेत कुष्ठ , पित्त दोष स्केबीज आदि में भी लाभदायक होती हैं। पालक के इन्ही गुणों के कारण आज के समय में पालक का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। किसान भाई पालक की खेती में कई वर्षों से लगे हुए हैं। कुछ तो पालक की उचित खेती के बारे में जानते हैं पर कुछ लोग ऐसे भी है जो पालक की खेती करते तो हैं। पर उन्हें पालक को आधुनिक खेती के बारे में जानकारी नहीं है। आपको इस पोस्ट में हम
पालक की आधुनिक खेती के बारे में बता रहे है। जिससे आपकी उत्पादन लागत कम आएगी और मुनाफा ज्यादा होगा। तो आइये जानते हैं की पालक की वैज्ञानिक खेती कैसे की जाये।
1. पालक की खेती के लिए जलवायु-
अगर आप पालक की खेती करने की सोच रहे हैं तो आपको जलवायु के बारे में जानना बहुत जरुरी है। जैसे की पालक की खेती किस मौसम में की जाती है- वैसे तो पालक शरद ऋतू की सब्जी है पर इसे माध्यम गर्म वातावरण में भी उगाया जा सकता है। ज्यादा तापक्रम पालक की खेती के लिए अच्छा नहीं होता है। पालक की खेती- फ़रवरी-मार्च , जून-जुलाई , सितम्बर-नवम्बर में की जा सकती है।
2. पालक की खेती के लिए भूमि-
जलवायु के बाद पालक की खेती के लिए उपयुक्त भूमि चयन का सवाल उठता है की पालक की खेती करने के लिए कौन सी भूमि उचित है। पालक की खेती उचित जल निकासी वाली सभी प्रकार की भूमि पर किया जा सकता है।
3.पालक की खेती के लिए खाद एवम्
उर्वरक-
उर्वरक-
पालक की खेती के लिए खाद कैसी हो इसके बारे में बताया गया है-
खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से-
खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से-
1. गोबर की खाद- 300 से 350 क्विंटल
2. नत्रजन (NITROGEN)- 80 से 100 किग्रा.
2. नत्रजन (NITROGEN)- 80 से 100 किग्रा.
खेत की तैयारी के साथ 300 से 350 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को मिला लेना चाहिए। उसके बाद नत्रजन को 4 से 5 भागों में बाटकर पालक की प्रत्येक कटाई के बाद देना चाहिए। क्योंकि पत्तेदार सब्जी होने के कारण पालक को अधिक नत्रजन की आवश्यकता होती है।
4. पालक के लिए खेत तैयार करना-
सबसे पहले तो खेत की अच्छी तरह से जुताई कर देनी चाहिए ध्यान रहे की पालक के खेत में नमी का होना जरुरी है इसलिए खेत को तैयार करने से पहले खेत में एक बार सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे पानी मिट्टी के अंदर अच्छी तरह पहुच जाये। जब खेत जोतने के लायक हो जाय तो उसकी जुताई करके घास फूस , खरपतवार , कंकर पत्थर , को खेत में से निकाल लेना चाहिए। प्लास्टिक तो बिल्कुल ही खेत में न रहने देना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक ना तो गलती है ना ही कभी सड़ती है। प्लास्टिक खेत को ख़राब कर देती है। इसलिए जहाँ तक हो सके प्लास्टिक खेत में न रहने दें।
5. पालक का बिज बोना-
पालक का 25 से 30 किलो बिज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बोना उचित है। पालक का बिज दो प्रकार से बोया जाता है-
1. कतार द्वारा।
2. छिड़काव
पालक की कतार द्वारा बिज बोने के लिए खेत में कतारें (लाइन) बना कर बिज को बोया जाता है। एक कतार से दूसरे कतार की दुरी 15 से 20 सेमी. होनी चाहिए। ताकि घास फुस की सफाई की जा सके या निराई गुड़ाई आसानी से किया जा सके। छिड़काव विधि में पालक के बिज को खेत में खाद की तरह छिड़काव किया जाता है।
बिज को बोने के बाद ऊपर मिट्टी से ढक देना चाहिए।
1. कतार द्वारा।
2. छिड़काव
पालक की कतार द्वारा बिज बोने के लिए खेत में कतारें (लाइन) बना कर बिज को बोया जाता है। एक कतार से दूसरे कतार की दुरी 15 से 20 सेमी. होनी चाहिए। ताकि घास फुस की सफाई की जा सके या निराई गुड़ाई आसानी से किया जा सके। छिड़काव विधि में पालक के बिज को खेत में खाद की तरह छिड़काव किया जाता है।
बिज को बोने के बाद ऊपर मिट्टी से ढक देना चाहिए।
6. पालक की सिंचाई-
पालक की अच्छी उत्पादन पाने के लिए समय समय पर सिंचाई करना जरुरी है। क्योंकि पत्तेदार सब्जी होने के कारण पालक को अधिक जल की जरूरत होती है। शरद ऋतू में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। गर्मी के समय 4 से 5 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए इस बात पर ध्यान देना चाहिए की खेत में नमी बनी रहे।
7. पालक की कटाई-
पालक के बिज को बोने के लगभग एक महीने बाद पालक काटने योग्य हो जाती है। पालक की पत्तियां जब पूर्ण रूप से विकसित हो जाएँ तो उन्हें काट लेना चाहिए। पत्तियों को काटते समय यह ध्यान रखना चाहिए की पालक के पौधे को कोई नुकशान ना हो। अगर पालक की अच्छी तरह से देखभाल की जाये तो पालक की 4 से 6 कटाई प्राप्त होती है। प्रति हेक्टेयर 80 से 90 क्विंटल पालक की हरी पत्तियां प्राप्त होती है।
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